कारगिल योद्धा का छलका दर्द, भगवान ने ही सच सामने लाकर रख ‎दिया

पहले तो किसी ने यकीन ही नहीं किया, वी‎‎डियो वायरल होने पर संसद तक पहुंची गूंज

इंफाल – मण‍िपुर ह‍िंसा और मह‍िलाओं को न‍िर्वस्‍त्र कर परेड कराने की घटना पर कार‎गिल योद्धा का दर्द छलका है। उन्होंने कहा ‎कि पहले कोई हमारी बात नहीं मान रहा था, लेकिन भगवान ने ही वी‎डियों के ज‎रिए सच को सामने लेकर आए हैं। अब उसकी गूंज संसद तक सुनाई दे रही है। वाकई म‎णिपुर की घटना को लेकर सड़क से संसद तक हंगामा है। बता दें ‎कि मण‍िपुर ह‍िंसा के दौरान जि‍न मह‍िलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराई गई, उनमें से एक का पति कारग‍िल युद्ध का योद्धा रहा है। कारगिल युद्ध लड़ चुके 65 वर्षीय रिटायर्ड फौजी का कहना है, ‎कि भगवान ने यह सुनिश्चित करने के लिए ही परेड वाला वीडियो वायरल किया होगा ताकि सच सामने आ जाए। गौरतलब है कि 4 मई की इस ह‍िंसा का वीडियो 19 जुलाई को वायरल हुआ था, जिसके बाद सड़क से लेकर संसद तक इसकी गूंज सुनाई दे रही है। 65 वर्षीय कारगिल युद्ध के योद्धा की पत्नी को मणिपुर में 4 मई की हिंसा के दौरान भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाया गया था। जानकारी के मुताब‍िक पूर्व सैनिक का कहना है क‍ि इस घटना का सच सबके सामने आ जाए, इसल‍िए भगवान ने यह सुनिश्चित करने के लिए वीडियो वायरल किया होगा। जा‎हिर है ‎कि राज्‍य में भड़की ह‍िंसा के दूसरे दिन भीड़ ने उस पूर्व जवान की पत्नी और दो अन्य कुकी-ज़ोमी महिलाओं को निशाना बनाया था। इस घटना का वीडियो काफी समय बाद 19 जुलाई को सामने आया, ज‍िसके बाद पूरे देश में आक्रोश पैदा हो गया।
घटना को लेकर पूर्व सैनिक ने बताया क‍ि इस मामले में सैकुल पुल‍िस स्‍टेशन में 18 मई को शिकायत दर्ज कराई गई थी। इस श‍िकायत के आधार पर 18 मई को कांगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी। लेक‍िन वीड‍ियो वायरल होने से पहले तक इस मामले पर पुलिस या सरकार की ओर से किसी ने भी हमें फोन नहीं किया था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्व सैनिक के मुताबिक, इस मामले में कार्रवाई बहुत पहले हो जानी चाह‍िए थी। लेक‍िन जब इस घटना के बारे में बताया तो क‍िसी ने इस पर व‍िश्‍वास नहीं क‍िया था। वीड‍ियो वायरल होने से पहले क‍िसी को इस पर व‍िश्‍वास नहीं हुआ।
सेना के र‍िटायर्ड पीड़ित जवान का कहना है क‍ि उनका सेना में करीब 30 साल का लंबा करियर रहा है। वह जब 18 वर्ष के थे, तब एक सैनिक के रूप में असम रेजिमेंट में शामिल हुए थे और 2000 के दशक के अंत में सूबेदार के रूप में कई पदकों के साथ सेवानिवृत्त हुए। इस दौरान उन्होंने अपने गांव को गौरवान्वित किया और युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित भी किया। उन्होंने देश के अंदर और बाहर कई खास ऑपरेशनों में ह‍िस्‍सा ल‍िया था। ले‎किन अब देश में ही उन्हें असुरक्षा और अपमान का घूंट पीना पड़ रहा है।